Thursday, July 22, 2010

ये खौफ..

ना जाने वक़्त का तूफ़ान कब जाये ..
इस सुन्दर सी बगिया को वो कब उड़ा ले जाए..
क्यूँ हैरान और परेशान रहता है ये दिल..
क्यूँ खुद से ही इतने सवाल करता है ये दिल
क्यूँ तनहाइयों से डरता है ये दिल
क्यूँ तुझ से दूर जाने को डरता है ये दिल
क्यूँ तेरा हाथ थाम के फिर छोड़ने को डरता है ये दिल...
क्यूँ इस भीड़ में अकेले चलने से डरता है ये दिल
क्यूँ अपनी नज़रों से ओझल होते हुए देख डरता है ये दिल
क्यूँ ख्वाबों में भी मिल कर बिछड़ ने से डरता है ये दिल
यही इक सवाल यही इक उलझन लिए चुप-चाप धडकता है ये दिल
शायद यही कहना चाहता है ये दिल कि तुझसे बेपनाह मोहब्बत करता है ये दिल..!!!

3 comments:

emoxpression said...

jabardast likhi hai....abhi tak ka best..!!

Mani Singh said...

shukriya peeyush..:)

कमलेश खान सिंह डिसूजा said...

हाथ थाम के फिर छोड़ने को डरता है ये दिल...

बहुत सुन्दर ||
एक हृदयस्पर्शी रचना ||