Tuesday, October 12, 2010

हुस्न..

बरसों बाद आज इक चेहरा हसीन देखा ..
मानो यूँ कि घटाओं में छिपा आफ़ताब देखा...!!!
अश्कों पे छिपे कुछ सवालों का ..
आज मुझए जवाब मिला...
उन काली लहराती जुल्फों से मुझए आज...
मचलती लहरों का अहसास मिला....!!!
वाकिफ थे हम भी उन आँखों कि गहरायी से....
ना जाने क्यूँ आज तेरी आँखों में डूब जाने को जी चाहा..!!!
सुना है तेरी इक मुस्कान पे थे हजारों फ़िदा....
हैरत हुई जब बागों में फूलों को खिलते और महकते देखा ...!!!
थी तपिश तेरे जिस्म में कुछ इस कद्र ...
कि हर बार तुझे देख में सुलगता रहा तड़पता रहा.!!!
हो रूबरू कभी बस..इसी आस पे कभी जीता रहा तो कभी मरता रहा...!!!