Tuesday, August 4, 2009

दोस्ती....

तुम्हारी दोस्ती की तारीफ मेरी जुबान पे आने लगी हर वक्त ....
तुमसे दोस्ती क्या हुई की ज़िन्दगी मुस्कुराने और महकने लगी हर वक्त

अब तो नींद में भी जागने की आदत सी हो गई हर वक्त ...
इन बंद पलकों के पीछे किसी को देखने की आदत से हो गई ..हर वक्त॥

कोई बताये मुह्ये की.
.क्यूँ अब इस भरी दुनिया में तनहा रहने की आदत से हो गई
सच बताओ की ये मेरी दोस्ती है या तारीफ तुम्हारी.. की हर जुबान पे
...दुआ तेरे लिए आने लगी हर वक्त॥

खुदा!!! अब तो ये आलम है की अब ख़ुद अपने आप से गुफ्तगू करने की आदत से होगी हर वक्त...

2 comments:

Vijay Das said...

As always.....you did it again...nice one....hey, to whom it was intended? You should now work towards your masterpiece...what you say?

Mani Singh said...

thank you so much..sure.