Thursday, August 20, 2009

इश्क..

इश्क कोई चीज़ नही जिसे सोने या चांदी से तोला जाए
इश्क या मोहब्बत खुदा का वो अनमोल तोहफा है हर इन्सान के लिए
जो दिलो में कई जज़्बात जगाता है...जो इस हकीकत को समझ जाए बस वही खुदा का बासिंदा है॥
इश्क तो इबाबत है पूजा है उसकी (खुदा ) जो चाहे ले जाए उसे , जो चाहे वो बदनसीब क्या जाने क्या
ठुकराया है उसने और क्या पाया है उसने
किस्मत वाले हैं वो जिन्हें मिलती है "मोहब्बत" जीते जी तो "जन्नत" नसीब होती है,
मिले जिन्हें तो "दोज़क"
अब जी ले ये चन्द घडियां और दे मेशुमार प्यार .. जाने फिर किस मोड़ पर हो वापसी हमारी,जी चाहता है की
बटोर लें जितना प्यार हो सके , कहीं ये रुसवाई मेरे खुदा को मुझसे रुसवा कर दे, हां क्यूँ की उस के दर पर दौलत महल
चोबारे जायेंगे ..बस जाए गी तो ये मोह्बात ये इंसानियत बस तू इतना जान ले...खुदा हाफिज़..

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