कभी -कभी कुछ लम्हे यूँ दिल में उतर जाते हैं , जैसे साँसें रूह में ॥
पूनम कि रात सागर के किनारे, जहाँ चाँद अपनी चांदनी को बाहों में लिए थे....
वहीँ सागर तड़पता, हुआ अपने साहिल से मिलने को बेचैन था॥
ए शाम को वो लम्हा था जो बेहद खूबसूरत और दीवाना बना देने वाला था...
दिल ने चाहा कि घंटों वहीँ साहिल के किनारे बैठ कुदरत कि इस सुन्दरता को
अपने दिल में अपने रोम -रोम में बसा लू ...!!!
ज़मीन भी अपने आसमान कि आगोश में गुम सुम कुछ कहना चाह रही हो...
लगा वो मुझे भी अपना राजदार बना रही हो...
इतने हसीन वक़्त मैं कैसे रोक पाती खुद को...
वहीँ मेरी उंगलिया ,रेत पर बैठे हुए कभी तेरा और कभी मेरा नाम लिख -लिख कर
तुझे याद करती रही , और हर बार वो मचली लहरें आती और हम दोनों को यू साथ ले जाती...
बस यादों के लिए वहीँ साहिल पर कुछ मोती और सीप छोड़ जाती॥
4 comments:
its really nice one .... i wish ppl go throw it once to get the depth of it !!!!!!!!!!
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its been great lovely amazing to read this....awesome...keep it up
मानी जी,
कभी -कभी कुछ लम्हे यूँ दिल में उतर जाते हैं......एक बहुत ही सुन्दर रचना है !!
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