Friday, August 20, 2010

नशा

ये क्यूँ आज कल दिल बेक़रार रहता है॥??
बिन पिए आँखों में इक नशा खास रहता है..
ये नशा है या खुमार उसके इश्क का , जो सुबह शाम मुझए बेहाल करता है...
अब इस जालिम दुनिया को शिकायत होने लगी हम से .....
कि देखो अब ये इंसा दुनिया से जाने लगा है...!!!
मैं खुद भी वाकिफ नहीं कि अब मुझे ये क्या होने लगा है...??
उसका दर्द भी क्यूँ दुआ बन जाता है...
क्या कहूं कि अब ता उम्र इस दर्द मैं जीने का मज़ा आने लगा है...!!!