कभी तेरी बातों में तो कभी तेरे ख्यालों में मसरूफ रहते हैं...!!!
बढ़ जाये कभी बेचनी तो तेरे गीतों में तेरी ग़ज़लों में खुद को मसरूफ रखते हैं..
कहता रहे चाहे ये ज़माना कुछ भी हम अपने इस फैसले को आबाद रखते हैं..
राहें तो और भी बोहत है. ज़िन्दगी में , मिल जाये जहाँ इक हमसफर इक रहनुमा, बस वही राहे दिल के करीब होती हैं..!!!
हों कांटें या हो फूल मेरे पथ में ये हकीकत अब लफ्जों में नहीं तहे दिल से कबूल करते हैं ..
होगा इक दिन खुदा भी मेहरबान हम पर, तो रु-बा-रु तेरे ये अपनी जान करते हैं
.क्या खौफ रखना मौत का, इक दिन वो भी गले लगाये गी.
कहते हैं लोग आज कल कि कहाँ छुपा रखा है खुद को.???
तो कह देते हैं कि फुर्सत नहीं हमे आज कल खुद से मिलने कि .खुद से बातें करने कि...
बस उसकी ( खुदा) नज़रों करम में खुद को मसरूफ रखते हैं ..उसकी इबादत करते हैं..!!!
फिर ना बैर किसी से ना शिकायत किसी से ,कुछ इस तरह से खुद को मसरूफ रखते हैं..
1 comment:
one of the best
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