Tuesday, February 23, 2010

yaad aaya..

धडकनों को आज धडकने का सबब याद आया..
बेवजह आज फिर क्यूँ, दिलको तेरे करीब आने का सबब याद आया..!!
आज फिर तेरी इन आँखों को इन आखों से बातें करने का सबब याद आया..
छुपते -छुपाते आज फिर इन पलकों के भीगने का सबब याद आया..!
रहते थे हम जिस वीराने में, आज फिर क्यूँ इक रौशनी के आगाज़ का सबब याद आया..
आज फिर मुझए तेरे-मेरे दरमयान कुछ होने का सबब याद आया..
तुझसे किये हसीन चंद वादों का सबब याद आया..!!!
वो तेरे तस्वुर में खुद को डुबो देने का सबब याद आया..
वो आज फलक से टूटते हुई तारों को देखा तो तेरे होने का सबब याद आया..!!!
आज फिर दिल के होश उड़ जाने का सबब याद आया..
हवाओं में किसी महक के होने का सबब याद आया..!!
दिल से उठी इक कसक इक फरियाद से तेरे होने का सबब याद आया...!!
हर बार दुआओं में , खुद से पहले तुझ को देखने का सबब याद आया..
दिल के रोम -रोम ने जब पुकारा तो तेरे होने का सबब याद आया..!!!