Friday, October 23, 2009

बचपन

आज फिर मुझे वो मेरा बचपन याद आया॥
वो अपने आँगन में बीता हुआ हर लम्हा याद आया !!!
वो माँ का पुकारना ..वो हमारे पीछे -पीछे भागना
घर का वो चोबारा , आज फिर याद आया...
अपनों के बीच में वो हसना वो रोना॥!!!
वो रूठना वो मनाना आज फिर याद आया॥
बारिश में वो मिटटी में खेलना ,वो भीगना और भीगाना...
और फिर माँ का वो डांटना याद आया!!!
माँ के हाथों कि बनी उसकी वो रूखी रोटी में
भरा हुआ प्यार आज बोहत याद आया !!!
रात -रात भर जागना , मेरे दर्द को अपने सीने से लगाना ॥
आंखों के आंसुओं को छुपा लेना ..क्यूँ आज बोहत याद आया।!!!
ना जाने कहाँ खो गए वो सुनहरे दिन ,वो पल॥
आज फिर दिल को वो दोस्तों का प्यार ॥
और उनका झगड़ना याद आया ...
वोह पिता का प्यार, माँ का दुलारकभी मीठा तो कभी खट्टा...
जिन्दगी का ये बीता वक्त फिर आज बोहत याद आया ॥
उनका प्यार भरा हाथ अपने सर पर आज फिर बोहत याद आया!!!

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